
Questions on Mahant Narendra Giri Suicide Note महंत नरेन्द्र गिरी के सुसाइड नोट पर सवाल: जानकारों का कहना नरेंद्र गिरी ज़्यादा पढ़ते लिखते नही थे
नरेन्द्र गिरी का शव पंखे से लटके मिलने के बाद उनका 7 पन्नों का सुसाइड नोट सामने आ रहा है। इस पर यह सवाल है कि महंत ज्यादा लिखते-पढ़ते नहीं थे। ये तमाम बातें महंत की आत्महत्या की थ्योरी पर सवाल खड़े कर रही है।
एक दिन पहले भी Narendra Giri ने कई अलग-अलग लोगों से मुलाकात किया था और उनके चेहरे पर कोई तनाव नहीं था।
उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या से महंत नरेंद्र गिरि अपने मौत से एक दिन पहले ही प्रसन्नता से मिले थे। इससे पूर्व प्रदेश के पुलिस मुखिया मुकुल गोयल ने भी महंत नरेन्द्र गिरी से मिलने आये थे। इस दौरान भी वे खुश थे।
गौरतलब है कि प्रयागराज पुलिस ने पहले ही नरेंद्र गिरि की मौत के मामले में एफआईआर दर्ज कर ली है. धारा 306 के तहत ये एफआईआर दर्ज की गई है, जिसमें आनंद गिरि का भी नाम है. आनंद गिरि पर महंत नरेंद्र गिरि को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप है.
महंत नरेंद्र गिरि ने अपने सुसाइड नोट में भी आनंद गिरि का ज़िक्र किया है. इसके अलावा दो अन्य पुजारियों को प्रयागराज से हिरासत में लिया गया है. पुलिस शुरुआत में इस केस को आत्महत्या से जोड़ रही है, लेकिन तमाम रिपोर्ट्स आने के बाद ही अंतिम फैसला सुनाया जाएगा.
सुसाइड नोट की भाषा ऐसी जैसे सब कुछ पहले से तय हो
पुलिस सूत्रों के मुताबिक घटनास्थल से मिले 7 पन्नों का सुसाइड नोट देखकर ऐसा लग रहा है जैसे यह सब पहले से तय हो और कई दिनों से इसको लेकर मंथन चल रहा हो। यदि खुद महंत नरेंद्र गिरि ने लिखा तो उस वक्त उनकी मनोदशा क्या थी? कई शिष्यों का दावा है कि महंत जी बहुत नहीं लिखते थे। वहीं, प्रयागराज अखिल भारतीय संत समिति और गंगा महासभा के महासचिव जीतेंद्रानंद सरस्वती ने दावा किया है कि वह इतना बड़ा सुसाइड नोट लिख ही नहीं सकते। महंत जी सिर्फ हस्ताक्षर और काम चलाऊ लिखना जानते थे।
शिष्य ही लिखते-पढ़ते थे नरेंद्र गिरि के पत्र
गंगा सफाई आंदोलन में कानपुर के श्रमिक नेता रामजी त्रिपाठी के साथ नरेंद्र गिरी भी शामिल हुए थे। रामजी त्रिपाठी का दावा है कि नरेंद्र गिरी को कुछ भी पढ़ना लिखना नही आता था। वे बताते हैं कि जब भी नरेंद्र गिरि जी को कुछ भी पढ़ना होता था, तो वे अपने शिष्य को बुलाकर पढ़ाते थे। इसी तरह से लिखवाने के लिए भी किसी को बुला कर ही पत्र लिखवाते थे।
उन्होंने बताया कि जब ऐसा पहली बार उनके सामने हुआ कि एक पत्र को पढ़ना था और महंत ने शिष्य को बुलाया और पत्र पढ़वाया। इस पर रामजी त्रिपाठी के पूछने पर उन्होंने बताया था कि वह लिखना पढ़ना नहीं जानते हैं। राम जी त्रिपाठी ने बताया कि गंगा सफाई आंदोलन में लिखे गए पत्रों में उनका नाम अंकित कर दिया जाता था।
प्रयागराज में नरेंद्र गिरि के शिष्य सतीश शुक्ल ने भी बताया कि गुरुजी पिछले कुछ वर्षों में सिर्फ हस्ताक्षर करना सीख पाए थे, लेकिन वह 7 पन्ने लिख नही सकते थे। उनके हस्ताक्षर से आत्महत्या में लिखे पत्र का मिलान बेहद जरूरी है। सतीश का दावा है कि वह एक लाइन भी नही लिख सकते थे। नरेंद्र गिरी के आरोपी शिष्य का भी दावा है कि नरेंद्र गिरी को लिखना-पढ़ना नहीं आता था।
बता दें कि सोमवार की शाम को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि की मौत हुई थी. शाम को पुलिस को जानकारी मिली, जिसके बाद शव बरामद किया गया और उसे पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया था. पुलिस अभी सभी जानकारियों को समेटने में जुटी हुई है.
महंत नरेंद्र गिरि के कमरे से जो सुसाइड नोट मिला है, उसपर भी कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. आनंद गिरि का दावा है कि नरेंद्र गिरि सही से नहीं लिख पाते थे, जबकि नरेंद्र गिरि के अन्य शिष्य निर्भय द्विवेदी ने साफ कहा है कि महंत जी लिख सकते हैं. निर्भय के मुताबिक ही नरेंद्र गिरि सोमवार को किसी का इंतज़ार कर रहे थे, कोई उनसे मिलने आने वाला था. सुसाइड नोट के अलावा नरेंद्र गिरि ने एक वीडियो भी रिकॉर्ड किया है, ये अब पुलिस की हिरासत में
फंदे पर लटका था शव, पास में सल्फास की पैक डिब्बी पड़ी थी
कमरे में महंत नरेंद्र गिरि का शव पंखे में फंदे से लटका था। पास ही सल्फास की डिब्बी पड़ी थी, लेकिन यह खुली नहीं थी। सुसाइड नोट भी बिस्तर के पास रखा था। उनके शिष्य बबलू ने ही सबको घटना की सूचना दी। बबलू के मुताबिक रविवार को गेहूं में रखने के लिए गुरुजी ने सल्फास की गोलियां मंगाई थीं।
पुलिस ने मौके से महंत नरेंद्र गिरि का मोबाइल कब्जे में ले लिया है। साथ ही सोमवार सुबह से मठ में आने वाले और महंत से मिलने वालों की लिस्ट बनाकर पुलिस ने पूछताछ शुरू कर दी है। इनमें मठ के सेवादार भी शामिल हैं। मठ में लगे CCTV कैमरों के फुटेज की भी पड़ताल की जा रही है।
आनंद गिरि ने नरेंद्न गिरि के तीन करीबियों पर उठाई उंगली
पुलिस ने सुसाइड नोट के आधार पर मठ के पुजारी आद्या तिवारी उनके बेटे संदीप तिवारी और शिष्य आनंद गिरि को गिरफ्तार कर लिया है। वहीं, आनंद गिरि ने इसे हत्या करार देते हुए इसके पीछे सिपाही अजय सिंह (गनर) के साथ ही मनीष शुक्ल, विवेक और अभिषेक मिश्र पर आरोप लगाया है। ये लोग प्रॉपर्टी का काम करते हैं और महंत के करीबी बताए जा रहे हैं। चर्चा है कि पुलिस की एक टीम इनसे भी पूछताछ कर रही है।
महंत की मौत की वजह इन विवादों में भी तलाश रही है पुलिस
Narendra Giri Suicide Case: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत की जांच की जा रही है. इस पूरे मामले को लेकर कई तरह के नए खुलासे हो रहे हैं. ताजा जानकारी के मुताबिक, महंत नरेंद्र गिरि को वीडियो के दम पर ब्लैकमेल किया जा रहा था.
सूत्रों के मुताबिक, महंत नरेंद्र गिरि को ब्लैकमेल करने में एक सीडी का इस्तेमाल किया जा रहा था. ब्लैकमेलिंग के इस मामले में समाजवादी पार्टी की सरकार में दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री रहे व्यक्ति भी जांच के दायरे में हैं.
जिस नेता की बात हो रही है, वह अक्सर बाघंबरी मठ में नरेंद्र गिरि से मिलने आते थे. इतना ही नहीं इस पूरे मामले में जिस शिष्य आनंद गिरि को हिरासत में लिया गया है, वह पूर्व राज्य मंत्री उसका भी करीबी था.
प्रयागराज पुलिस को कॉल डिटेल की मदद से ये सभी अहम सुराग मिले हैं और अब पुलिस की रडार पर ये समाजवादी पार्टी सरकार में दर्जा प्राप्त मंत्री भी आ गए हैं. ताजा जानकारी के आधार पर ही पुलिस अब अपनी आगे की जांच में जुट गई है.
महंत नरेंद्र गिरि और उनके शिष्य आनंद गिरि के बीच प्रॉपर्टी को लेकर विवाद। इसके बाद आनंद गिरी के बाघंबरी गद्दी मठ और बड़े हनुमान मंदिर में प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी।
मठ की जमीन को लेकर कई विवाद सामने आने लगे थे। इसमें हंडिया के सपा नेता महेश नारायण सिंह से विवाद हो या पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के सचिव महंत आशीष गिरि की नवंबर 2019 को संदिग्ध हालत में मौत।
नरेंद्र गिरि ने किन्नर अखाड़े से लेकर परी अखाड़े तक पर सवाल खड़े किए थे।
2004 में तत्कालीन डीआईजी आरएन सिंह से भी एक जमीन बेचने को लेकर विवाद हुआ था। इसमें खुद मुख्यमंत्री मुलायम सिंह को बीच में आना पड़ा था। 5. आनंद गिरि ने आरोप लगाया था कि मठ की जमीन अवैध रूप से बेची जा रही हैं। शहर के कीटगंज स्थित गोपाल मंदिर की जमीन हो या संगम स्थित बड़े हनुमान मंदिर का लाखों रुपये का चढ़ावा सब में खेल हो रहा है। इसको लेकर मठ के अंदर की विवाद की स्थित पैदा हो गई थी।