कोरोना की दूसरी लहर लाखो जिंदगी लील गई।
हजारों परिवारों के कमाने वाले चले गये हजारों बच्चे यतीम हो गए और सरकार फिर से अपने गुणगान मे व्यस्त हो गई सभी मुख्यमंत्री हो या प्रधानमंत्री क्रेडिट लेने की होड मची है कि किस तरह हमने दूसरी लहर पर काबू पाया, जबकि हकीकत सब जानते हैं आक्सीजन, बेड,वैन्टीलेटर की कमी से अस्पतालों के बाहर दम तोडते सडकों पर दम तोडते लोगों को,गंगा मे तैरती लाशे,किनारे दफ्न की हुई लाशे,सरकारी और शमशान कब्रिस्तान मे मौत के आंकड़ों में हेराफेरी, फिर भी सब मौन है क्या ये सरकार की विफलता के कारण सामुहिक नरसंहार नहीं था, सब कुछ पुरानी रफ्तार से चलने लगा सब अपनी रोटी के जुगाड़ मे लग गए,क्या कोई आवाज उठी अब तक उन मौतों का हिसाब सरकार से मांगने के लिए, क्या होगा उन बच्चों का जिनके सर से मां बाप दोनो का साया उठ गया, जिनके परिवार से कमाने वाले चले गए माना आसान नहीं है सरकार की जवाबदेही तय करना पर आवाज तो उठानी होगी क्यों हमे खामोश रह कर घुटन नहीं होती क्या जिंदा है हम एक सवाल खुद से भी पूछने का वक्त है
#कामरेड कैसर शन्नो#