ISRO के पूर्व वैज्ञानिक नम्बि नारायणन की बायोपिक है फिल्म ‘रॉकेट्री’! वामपंथियों ने जिन्हें बनाया ‘देशद्रोही वैज्ञानिक’!
रंगनाथन माधवन ने अब बतौर निर्देशक एक बायो पिक पर काम करना शुरू कर दिया है। बॉलीवुड और तमिल की फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवा चुके हैं रंगनाथन माधवन। रॉकेट्री – द नम्बि इफ़ेक्ट’ का ट्रेलर आ गया है और इसे सोशल मीडिया पर अच्छी प्रतिक्रिया भी मिल रही है। फिल्म ISRO के वैज्ञानिक रहे एस नम्बि नारायणन की बायोपिक है।
फिल्म में नम्बि नारायणन पुराने दिनों में भारत में रॉकेट्री को बढ़ावा देने के लिए योजना बनाते दिखते हैं। इसके बाद उनके खिलाफ साजिश की बातें आती हैं।उनकी देशभक्ति पर सवाल उठाए गए। उनकी कामयाबी के बावजूद उन्हें अलग-थलग कर दिया गया ।उन पर गुजरे पारिवारिक संकट और गिरफ़्तारी के दौरान मिली प्रताड़ना को भी फिल्म में दिखाया जाएगा। किस तरह उन्होंने न्यायिक लड़ाई जीती, फिल्म में ये भी दिखाया जाएगा।
आर माधवन और शाहरुख़ खान के अलावा फिल्म में कभी तमिल सिनेमा की सेंसेशन रहीं सिमरन और वहाँ के एक और बड़े स्टार सूर्या भी नज़र आएँगे। भारत के अलावा जॉर्जिया, रूस, फ़्रांस और सर्बिया में इस फिल्म की शूटिंग हुई है।
सारा दोष केरल की तत्कालीन CPI(M) सरकार का था, जिसने अमेरिका के इशारे पर भारतीय वैज्ञानिकों का करियर बर्बाद कर दिया और भारतीय स्पेस व रॉकेट्री विभाग का काम ठप्प कर दिया। भारत तब स्पेस की दुनिया में आत्मनिर्भर नहीं था और वो अमेरिका व रूस जैसे देशों पर निर्भर था, जहाँ से करोड़ों के आयात हुआ करते थे। इन देशों को ज़रूर लगा होगा कि भारत आत्मनिर्भर बना तो उनकी कमाई बंद हो जाएगी।
कई मीडिया रिपोर्ट्स में ये बात भी सामने आती है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA ने इसके लिए केरल की तत्कालीन कम्युनिस्ट सरकार में शामिल बड़े नेताओं और अफसरों को मोटी रकम मुहैया कराई थी।
पूर्व रॉ अधिकारी एनके सूद ने खुलासा किया था कि ये सब रतन सहगल नामक एक व्यक्ति ने किया। उन्होंने बताया था, “उसने ही नाम्बी नारायणन को फँसाने के लिए जासूसी के आरोपों का जाल बिछाया। ऐसा उसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि बिगाड़ने के लिए किया। रतन जब आईबी में था, तब उसे अमेरिकन एजेंसी सीआईए के लिए जासूसी करते हुए धरा जा चुका था। अब वह सुखपूर्वक अमेरिका में जीवन गुजार रहा है। वह पूर्व-राष्ट्रपति अंसारी का क़रीबी है।”
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