उत्तराखंड में तीन दिनों से सियासत में चल रही है हलचल आज मंगलवार के दिन लग गया विराम मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को आज 4 बजे इस्तीफा दे दिया है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह के इस्तीफे के बाद अब राज्य में नए मुख्यमंत्री के चयन की तैयारी तेजी से हो रही है।राज्य के पर्यवेक्षक रमन सिंह और दुष्यंत गौतम राजधानी देहरादून में जमे हुए हैं। सीएम के इस्तीफा देने के बाद पर्यवेक्षकों की देख रेख में विधायक दल की बैठक हमें नया सीएम चुना जाएगा। त्रिवेंद्र सिंह रावत के पद छोड़ने के साथ ही इस बात पर चर्चा तेज हो गई है कि उत्तराखंड का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा?

अब सांसद अनिल बलूनी, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज सहित केंद्रीय मंत्री व उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक रेस में सबसे आगे थे। लेकिन अब मंगलवार दोपहर के बाद अचानक से ही पुष्पकर धामी और राज्य उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत का सबसे आगे हैंइसके साथ ही उन्हें संघ का आशीर्वाद भी प्राप्त है। जमीनी नेता के रूप में अपनी पहचान रखने वाले धन सिंह रावत भाजपा को इस वजह से भी मुफीद हैं क्योंकि राज्य में अगले वर्ष ही चुनाव होने हैं। इसके साथ ही उनके नाम पर सीएम त्रिवेंद्र को भी सहमति देने में आसानी होगी जो धन सिंह के पक्ष में जा रहा है। हालांकि दूसरे दावेदार भी हैं। त्तराखंड से सांसद अनिल बूलनी 2018 में राज्यसभा के लिए चुने गए थे। पिछले कई दशकों से वह भाजपा और आरएसएस में काफी सक्रिय रहे हैं। सांसद बनने के बाद बलूनी ने उत्तराखंड के लिए कई योजनाओं को लागू कराया था। केंद्र व उत्तराखंड सरकार के बीच तालमेन बनाने के लिए बलूनी को काफी जाना जाता है। चाहे रेल प्रोजेक्ट्स हो या फिर हाईवे निर्माण की बात हो, बलूनी ने केंद्र से कई कल्याणकारी योजनाओं को लाकर उत्तराखंड को सौंपी है। सांसद अनिल बलूनी विगत दिनों कैंसर से पीड़ित थे और मुंबई के एक अस्पताल में विगत दिनों उनका इलाज भी चला था।

त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह लेने के लिए दूसरा चर्चित नाम सतपाल महाराज का आ रहा है।सतपाल महाराज एक धर्मगुरु हैं और एक विशेष वर्ग में उनकी अच्छी पकड़ है। 2016 में यही मार्च का महीना था जब हरीश रावत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार को गिराने की कोशिश हुई थी और कांग्रेस के कई विधायकों ने बगावत कर दी थी। उस समय सतपाल महाराज कांग्रेस में थे और उनकी पत्नी अमृता रावत विधायक थीं। सतपाल महाराज की यही कांग्रेसी पृष्ठभूमि उनकी और सीएम की कुर्सी के बीच बाधा बन सकती है। यही एक और नाम धन सिंह और सतपाल महाराज के साथ एक और नाम काफी चर्चा में चल रहा है वह है अनिल बलूनी की सबसे बड़ी खासियत खासियत यह है कि उन्हें प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का वरदहस्त प्राप्त है जो दूसरे दावेदारों पर भारी पड़ सकता है। राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख की जिम्मेदारी निभा रहे बलूनी को पार्टी अब तक राज्य की राजनीति से अलग केंद्रीय भूमिका में अधिक जिम्मेदारी देती रही है लेकिन मुख्यमंत्री पद की दौड़ में उनका नाम भी तेजी से बना हुआ है। त्रिवेंद्र सिंह रावत की केंद्रीय नेताओं से मुलाकात के बाद बलूनी के साथ बैठक से इसको और बल मिला है।गौरतलब है कि राजधानी देहरादून में दिल्ली से विशेषतौर से भेजे गए पर्यवेक्षक रमन सिंह की अध्यक्षता में शनिवार को कोर कमेटी की बैठक आयोजित की गई थी। बैठक की रिपोर्ट सिंह ने भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को सौंपी थी। रिपोर्ट के आधार पर ही सीएम त्रिवेंद्र के भाग्य का फैसला तय हुआ था। सूत्रों की मानें तो उत्तराखंड में असंतुष्ट भाजपा नेताओं, आपसी तालमेल की कमी सहित बेलगाम होती ब्यूरोक्रेसी सहित मंत्रिमंडल विस्तार में देरी बातों को प्रमुखता से रिपोर्ट में उजागर किया गया था।

नैनीताल से सांसद और भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट का नाम भी एक वर्ग से रेस में सामने आ रहा है। अजय भट्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को लोकसभा चुनाव में पटखनी दी थी जिससे उनका कद बढ़ा हुआ है। लेकिन 2017 में चुनाव के बाद भी वह दावेदार थे लेकिन विधायक दल से उनका नाम खारिज हो चुका था। साथ ही उत्तराखंड का जातीय समीकरण भी उनके हक में नहीं है। उत्तराखंड की राजनीति में गढ़वाल और कुमाऊं के साथ ही ब्राह्मण और क्षत्रिय संतुलन भी साधा जाता रहा है। उत्तराखंड बीजेपी के अध्यक्ष कुमाऊं से हैं और ब्राह्मण हैं जबकि त्रिवेंद्र सिंह रावत क्षत्रिय और गढ़वाली। अगर पार्टी अजय भट्ट को सीएम बनाती है तो सीएम और अध्यक्ष दोनों पद कुमाऊं में पहुंच जाएंगे जो अगले साल होने वाले चुनाव में गढ़वाली मतदाताओं की नारजगी बन सकते हैं।सीएम त्रिवेंद्र के दून पहुंचने पर समर्थकों में जोश भरा हुआ है। वहीं दूसरी ओर, गढ़ी कैंट स्थित सीएम आवास में भी समर्थकों का भारी हुजूम उमड़ा हुआ है। हालांकि, अभी तक कोई भी विधायक नहीं पहुंचा है लेकिन दर्जाधारी मंत्रियो की मौजदूगी बनी हुई है।

सीएम आवास के बाहार भारी संख्या में मौजूद समर्थक त्रिवेंद्र के समर्थन में नारे भी लगाए हैं । उल्लेखनीय है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के सोमवार दिल्ली दौरे के दौरान पार्टी हाईकमान से मिलने का मौका नहीं मिला था। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सोमवार देर शाम राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी के घर मुलाकात के लिए पहुंचे थे। करीब डेढ़ घंटे तक चली बैठ में दोनों नेताओं ने उत्तराखंड में चल रही राजनीतिक उथल-पुथल पर चर्चा की। बैठक के बाद सीएम भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर मुलाकात भी की। यहां, दोनों नेताओं ने उत्तराखंड में मचे सियासी भूचाल के लेके काफी चर्चे भी की है।